Wednesday 7 December 2016

नोटबंदी का फार्मूला अधूरा

                                आरबीआई का होमवर्क भी अधूरा

                        वर्ष 2016 की  सबसे महत्व पूर्ण  रोचक घटना है ----   नोटबंदी   |    नोटबंदी की घोषणा वैसे तो करना थी  वित्तमंत्री या  आरबीआई   को पर करदी  प्रधानमंत्रीजी ने |  ........ बस,...   सब  गडबड यहीं  से शुरू  हो गई | ........    जानकार लोग तो तब ही  से सरकार को चेताने में लग  गए थे ....मगर  सरकार के सचेतकों ने  उसे  अडिग  रहने को कहा ?  !!!    सरकार  ने  शुरू  से ही  गैर- प्रजातांत्रिक तरीका  अपनाए  रखा |......  धीरे - धीरे  सरकार अपने वादों और घोषणाओं  से हटती  नजर आने  लगी |.........    सबसे महत्व की बात  जिसे नजर अंदाज़  नहीं किया जा सकता ..... वह  है----  आरबीआई  की अस्पष्ट  व  अधूरे  होमवर्क  वाली भूमिका |  .....इसके लिए वित्तमंत्री मंत्री  और  प्रधान मंत्री जी भी  जिम्मेदार हैं ... बराबरी से |    ........ बोकिल जी की माने  तो  उनकी भूमिका -----  इस पूरे  प्रकरण  में " ऊंट  पे चढ़ के  बकरी चराने वाले " की तरह  ही रही  है |  न  तो  नोटबंदी, वो भी .....इस समय .... तर्क संगत है  और  वो भी अधूरे  फ़ॉर्मूले  के साथ ..... और प्रधान  भूमिका  रखने  वाली  आरबीआई  के तुगलकी  अंदाज़ के साथ !!!! न  हीं ... देश की कोई विशेष उद्धारक |  यह  पूर्णतया  एक  राजनीति  से  प्रेरित कदम  ही  है  जिसने  भारत की  दैनिक अर्थ  व्यवस्था  को कई गुना पीछे  धकेल दिया है  |.........हाँ ,  इससे  कोर्पोरेट  - जगत  को  जरुर  फ़ायदा  हो जाएगा .....|...... पर  इससे भारत की  जनता को भी क्या ?!!!!!  .......न  ही  युवाओं  को !!!!! अभी  तो  सभी  लगे  हैं  दौड़ -दौड़ के  केशलेस  होने को ..... मगर .... ध्यान  रखना .......आगे पाट  पीछे  सपाट  तो नहीं  हो जाओगे ? !!!!












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