Tuesday 20 December 2016

ये अपमान नहीं ? !!!!

                           | दोषपूर्ण नीति |  

                      भारत सरकार   ने  पहले  कहाकि  30  दिसम्बर2016 तक  पुराने  नोट  बदल सकोगे और  उसमे कोई शर्तें  भी नहीं  रखी  थी ......फिर   दनादन   शर्ते   और  नियम  लागू   करते गए .......ऐसा  क्या  होगया ....!!!!      आप ने  तो कहा  था कि   हमने  सब  सोच विचार  कर  ही 8 नवम्बर  2016  वाली  घोषणा की थी |   क्या   आप ने  जनता को उलझा  कर  उसका  अपमान  नहीं किया ?   क्या  आप ने  अपने ही घोषणा का अपमान  नहीं किया  ?    जब  50 %  कालेधन  वालों  से लेना  पूर्ववत्  तय  था  तो  इतनी  माथा - पच्ची  करने की  आवश्यकता  ही नहीं  थी ,  न ही  इतना हड़कम्प  मचाए  जाने की .......कईयों  की  जानें  भी गई  है  आपके इस  चक्कर में  उसका  ज़िम्मेदार  कौन  होगा ?........  आप  तो  नित्य अपनी नीतियों( ?!!)  में बदल कर  रहे हो  तो आप की  किस बात का भरोसा  करें !!!!

अपराध होगा ?

                             | संवेधानिक बात  |

                        भारतीय जनता यह भी जान  ले  कि   सरकार एक सिस्टम लाई  है  ---  केशलेस  सिस्टम   |  ये  सरकार की अपनी  नीतिगत   योजना  हो सकती  है  परन्तु  यदि  कोई  केश नही लेगा  या  केश लेनदेन  पर कोई  चार्ज  या  जुर्माना   लेता है  तो वह   एक   अपराध  है  यानि   केश प्रचलन  पर कोई पाबन्दी  अपराध ही   है |        .....ये  हम    बतोर  जानकारी  हमारे  देशवासियों  के लिए  लिख रहे  हैं |  किसी से दिग्भ्रमित  होने की जरूरत  नहीं  है |

सबसे बड़ा भ्रष्टाचार

                                 || सोचने  वाली बात |

                                   केन्द्र  में बैठी  भारतीय जनता पार्टी  के शासन काल  में,मोदी जी की नाक के नीचे,बेंकों  के माध्यम  से और  नए  नोटों का  उपयोग  कर  देखिये  कैसे किया  लोगों  ने भ्रष्टाचार  के साथ  कालाधन इकठ्ठा ........ कुछ  लोग  पकडे  गए ......  लाखों , करोड़ो  के साथ ......  8  नवम्बर  2016  के  बाद ..वो  भी ...नोटबंदी  के  बाद ......  ये  कितना बड़ा  सबूत   है ......  इससे   बड़ा  और   क्या  सबूत   चाहिए ......  जेटली जी को   और  आरबीआई  के उर्जित  पटेल  दोनों  को  इस्तीफ़ा  देना  चाहिए कि   नहीं  देना  चाहिए ?!!!!

Sunday 11 December 2016

कब जागोगे .....?!!!

                                           || बात को समझो ||

                                       
                                             मेरे देश वासियों और शासन से जुड़े सभी लोग ...आप सबको एक बात को गंभीरता  पूर्वक समझना ही होगा कि हमारे यहाँ का उत्तम किस्म का गेहूं लगभग समाप्त हो चुका है ,जो है वह रासायनिक खाद का गेहूं है जो कि  जानवरों को खिलाने लायक भी नहीं होता |  ज्यादा पैदावर और अधिक आय के चक्कर में हमारे किसानों द्वारा जो उन्नत बीज के नाम पर गेहूं  उगाया जा रहा है वह रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोगों से  भयंकर और  दुस्साध्य बीमारियों का कारण  बन रहा है |  हमें  भारत में  भारतीय तरीकों से ही  खेती करनी  होगी याने  देशी  खाद का उपयोग करते हुवे खेती करनी होगी |  यदि ऐसा नहीं किया जाता तो देश में .... कैन्सर  के मरीजों  की संख्या   बढ़ने की सम्भावना  भी ज्यादा ही होगी |  यह एक जमीनी हक़ीकत  है | ....... हमारे जवान ,बच्चों, बूढों  सहित सभी पर इसका असर पेट, आंत, दिमाग़,त्वचा रोग  एवं अनेकों  प्रकार के मनों रोगों व शारीरिक रोगों को पैदा करता  हुवा  देखा जा सकता है |......... इसलिए समय रहते जागो ..... भारतवासियों |  अभी नहीं तो कभी नहीं |
                                                                                 एक और  महत्त्वपूर्ण बात ........ हमारे देश में पिछले तीन  वर्षों में 46हजार मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं जोकि सरकार ने खरीदा था इसलिए सड़ गया क्योंकि.........  उसको  रखने की कोई व्यवस्था  नहीं थी |    हमारे  यहाँ  अनाज  भंडारण की पर्याप्त  व्यवस्था क्यों नहीं की गई यह एक जांच का विषय है ...!!!!!  पर  हाँ ...  यह भी एक हक़ीकत   है |  इस   पर भी  उतनी  ही गंभीरता  से ध्यान देना  होगा जितना कि आज .........  सरकारें   केशलेस  होने व  नोटबंदी पर दे रही है |

Wednesday 7 December 2016

नोटबंदी का फार्मूला अधूरा

                                आरबीआई का होमवर्क भी अधूरा

                        वर्ष 2016 की  सबसे महत्व पूर्ण  रोचक घटना है ----   नोटबंदी   |    नोटबंदी की घोषणा वैसे तो करना थी  वित्तमंत्री या  आरबीआई   को पर करदी  प्रधानमंत्रीजी ने |  ........ बस,...   सब  गडबड यहीं  से शुरू  हो गई | ........    जानकार लोग तो तब ही  से सरकार को चेताने में लग  गए थे ....मगर  सरकार के सचेतकों ने  उसे  अडिग  रहने को कहा ?  !!!    सरकार  ने  शुरू  से ही  गैर- प्रजातांत्रिक तरीका  अपनाए  रखा |......  धीरे - धीरे  सरकार अपने वादों और घोषणाओं  से हटती  नजर आने  लगी |.........    सबसे महत्व की बात  जिसे नजर अंदाज़  नहीं किया जा सकता ..... वह  है----  आरबीआई  की अस्पष्ट  व  अधूरे  होमवर्क  वाली भूमिका |  .....इसके लिए वित्तमंत्री मंत्री  और  प्रधान मंत्री जी भी  जिम्मेदार हैं ... बराबरी से |    ........ बोकिल जी की माने  तो  उनकी भूमिका -----  इस पूरे  प्रकरण  में " ऊंट  पे चढ़ के  बकरी चराने वाले " की तरह  ही रही  है |  न  तो  नोटबंदी, वो भी .....इस समय .... तर्क संगत है  और  वो भी अधूरे  फ़ॉर्मूले  के साथ ..... और प्रधान  भूमिका  रखने  वाली  आरबीआई  के तुगलकी  अंदाज़ के साथ !!!! न  हीं ... देश की कोई विशेष उद्धारक |  यह  पूर्णतया  एक  राजनीति  से  प्रेरित कदम  ही  है  जिसने  भारत की  दैनिक अर्थ  व्यवस्था  को कई गुना पीछे  धकेल दिया है  |.........हाँ ,  इससे  कोर्पोरेट  - जगत  को  जरुर  फ़ायदा  हो जाएगा .....|...... पर  इससे भारत की  जनता को भी क्या ?!!!!!  .......न  ही  युवाओं  को !!!!! अभी  तो  सभी  लगे  हैं  दौड़ -दौड़ के  केशलेस  होने को ..... मगर .... ध्यान  रखना .......आगे पाट  पीछे  सपाट  तो नहीं  हो जाओगे ? !!!!












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प्रधानमन्त्री प्रोडक्ट नहीं

                                  || तुलना  व्यर्थ  |

                                    आए  दिन  देखा जा रहा है कि  सर्वे  के माध्यम  से भारत के प्रधान मंत्री जी को  विश्व में प्रथम  तो कभी देश में  सबसे आगे तो कभी कुछ तो कभी  कुछ बताया जाता है  जो कि  अनुचित है |  भारत का प्रधानमंत्री कोई  प्रोडक्ट या बिकाऊ चीज नहीं है | इस प्रकार  भारतीय प्रधानमन्त्री की तुलना अन्य राष्ट्राध्यक्षों  से किया जाना तर्क संगत भी नहीं है |  प्रत्येक राष्ट्राध्यक्ष  या  प्रधानमन्त्री की अपनी गरिमा है व स्थान है , तुलना करना ही व्यर्थ  है ...... सबकी अपनी शैली होती है व  अपनी - अपनी प्राथमिकताएं  होती  है | सबकी  अपनी  राजनैतिक , भौगोलिक एवं नीतिगत  परिस्थितियाँ  भिन्न - भिन्न  होती  है .....ये हमें  भूलना नहीं  चाहिए |   भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक  देश है  उसका  प्रधानमंत्री  होना ही  सबसे बड़े गौरव की बात  है , ... अलग  से  सर्वे करवाने  या  किसी  अन्य  के प्रमाण- पत्र  की  आवश्यकता नहीं  है | 

बच्चे कुपोषण के शिकार मध्यप्रदेश में

                                      खेद का विषय 

                                   भारत के मध्यप्रदेश में बच्चे  कुपोषण का शिकार हो रहें हैं और शासन इससे मनाही कर रहा   है !!    ये  घोर   आश्चर्य  का विषय है| आज याने कि 7 -12 -16  के अख़बार "  पत्रिका "  की न्यूज के अनुसार   दस्तक अभियान के तहत  हजारों की संख्या में कुपोषण से पीड़ित बच्चे प्रदेश में पाए जा रहे हैं  जबकि , शासन की एक जिम्मेदार मंत्री " अर्चना चिटनिस " इस तथ्य को अस्वीकार कर ऐसा नहीं होना बता रही  है जो कि  खेद का विषय  है | मध्यप्रदेश  के मुख्यमंत्री जी को इस सम्बन्ध में  एक श्वेत - पत्र  शीघ्र ही जारी  करना चाहिए |